Thursday, October 4, 2007

प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँ।
भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ।

काले-गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है,
कुछ और ना आता हो हमको हमें प्यार निभाना आता है।
जिसे मान चुकी सारी दुनिया मैं बात वही दोहराता हूँ।

जीते हों किसी ने देश तो क्या हमने तो दिलों को जीता है,
जहाँ राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है।
इतने पावन हैं लोग जहाँ, मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ।

इतनी ममता नदियों को भी जहाँ माता कह के बुलाते हैं,
इतना आदर इन्सान तो क्या पत्थर भी पूजे जाते हैं।
उस धरती पे मैंने जनम लिया ये सोच के मैं इतराता हूँ।